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Sunday, July 18, 2010

यह नदी है !!


नदिया की धार जब बहती है ,
जीवन का गीत सुनाती है,
एक नवीन माधुर्य संग मे अपने,
यह चंचला बहा कर लाती है||

सो जाती है पर्वत की ओत मे ,
चंदा  से भी बतलाती है,
कभी मंद मंद सी बहती है,
कभी उत्कल आलाप सुनाती है ||

एक बूँद छिटक कर कभी जो,
नदिया से उड़ कर जाती है,
ले जाती है पवन पार उसे, 
मेघों से फिर मिलवाती है ||

संग बादल जब बूँद मिले तो,
नदी रूप नया पा जाती है,
न्यौता पा कर धरा से फिर,
मेघों की बारातें आती है,
उमड़-घुमड़  जब बरसे  मेघा,
उमड़-घुमड़ जब बरसे मेघा,
कृषक घर हरियाली छा जाती है ||

होता है हर खेत संपन्न,
धरा समृद्ध हो  जाती है,
यह ही वह कहानी है ,
जो हर लहर हमें सुनती है,
नदिया की धार जब बहती है,
जीवन का गीत सुनती है ||

Wednesday, June 30, 2010

बारिश की बूँदें


रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदों ने घाट भिगोया है

रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदों ने तन मन धोया है

पावन शीतल सी बूँदों ने अरमानो की नींद जगाई है

यह धरा बहुत ही सुन्दर है बस वही सुन्दरता दर्शायी है



एक बात बहुत ही अटपटी सी मन मे जरा खटकती थी

जब धरा कराहती थी सूखे से तब बारिश क्यूँ नहीं होती थी

वह बात समझ अब आई है जब धरती चीखती है कराहती है

वेदना जब शिर्ष्टि की बदलो के कर्ण मे गूंज जाती है

मेघ का भी तरुण ह्रदय जब फट जाता है

एक अलौकिक आडम्बर बारिश को ले आता है

रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें तब बिखर जाती है

सूखी  सूखी धरा भी तब एक नव जीवन पा जाती है

रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें घाट भिगो कर जाती है,

रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें तन मन धो जाती है ||