रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदों ने घाट भिगोया है
रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदों ने तन मन धोया है
पावन शीतल सी बूँदों ने अरमानो की नींद जगाई है
यह धरा बहुत ही सुन्दर है बस वही सुन्दरता दर्शायी है
एक बात बहुत ही अटपटी सी मन मे जरा खटकती थी
जब धरा कराहती थी सूखे से तब बारिश क्यूँ नहीं होती थी
वह बात समझ अब आई है जब धरती चीखती है कराहती है
वेदना जब शिर्ष्टि की बदलो के कर्ण मे गूंज जाती है
मेघ का भी तरुण ह्रदय जब फट जाता है
एक अलौकिक आडम्बर बारिश को ले आता है
रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें तब बिखर जाती है
सूखी सूखी धरा भी तब एक नव जीवन पा जाती है
रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें घाट भिगो कर जाती है,
रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें तन मन धो जाती है ||