ठहर गया जो यादों का,उस पानी को धोना भूल गए,
एक पल हम दूर यूं हुए,
वे नाम हमारा भूल गए,
हमने तो हर साख पर,
एक गीत नया सजाया था,
तारीफें हुई पेड़ो किं, वे,
साखों को तो भूल गए,
जब कहना भी कुछ काम न आया,
तो हम सुनना भूल गए,
वो आँखों की सारी बातें एक,
चुप्पी मे सारी बोल गए,
ऐसा भी क्या था मंजिल मे,वे,
सफ़र की बातें भूल गए,
हम गाते रहे उनके ही गीत,
वे हमारे नाम के अलफ़ाज़ भूल गए|
awesom,..,., :)
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