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Tuesday, March 23, 2010

यह सड़क आगे जा कर टूट जाती है ..

आगे  जा कर यह सड़क टूट जाती है ,

कभी सड़क नाली मे ,
कभी नाली सड़क पर आ जाती है ...

ठेकेदारों को मिलती है दौलत हमारी ,
हमारे पास बस किच्चड़ मिट्टी रह जाती है .....
आगे जा कर यह सड़क टूट जाती है .....


अजीब लोकतंत्र की सड़क है, हर मौसम मे बिखर जाती है ,
कैसा यह अचम्भा है की लोकतंत्र से इतनी बदबू आती है ....

आगे जा कर यह सड़क टूट जाती .... पास हमारे किच्चड़ मिट्टी रह जाती है ........
आगे जा कर यह सड़क टूट जाती है ...

..

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